ई-मेल का इतिहास
Electronic Mail को संक्षेप में Email कहा जाता है सन् 1965 में ई-मेल की शुरूआत हुई थी यह एक इंटरनेट की सर्विस है Email को Compose करने, भेजने और रिसीव करने की सुविधा यूज़र को ARPANET से पहले ही मिल चुकी थी ARPANET का पूरा नाम Advanced Research Projects Agency Network होता है यह दुनिया का पहला Packet-Switching नेटवर्क था जो दुनिया का पहला ऐसा नेटवर्क था जिसमें TCP/IP मॉडल का प्रयोग किया गया था ARPANET के कारण ही आगे चलकर Internet की नींव पडी और ज्यादा से ज्यादा Networks को ARPANET से जोड़ने के लिए सन् 1974 में TCP/IP मॉडल का आविष्कार हुआ
इलेक्ट्रॉनिक मेल क्या है
Electronic Mail Or Email इंटरनेट की सर्विस है अगर आपका कोई परिजन,दोस्त या जानने वाला कही दूर किसी और देश में रहता है तो आप ई-मेल की मदद से कुछ ही देर में अपना संदेश उस तक पहुंचा सकते है यह उसी प्रकार से काम करता है जिस प्रकार हमारा डाकघर काम करता है
ई-मेल देखने के लिए आपको अपना Login Id और पासवर्ड की जरूरत होती है उसके बाद आप अपने आए हुए ई-मेल देख सकते हैं अगर आप चाहें तो आप ईमेल का Print भी निकाल सकते हैं ई-मेल भेजने के लिए Sender और Receiver दोनों पर एक समान कंप्यूटर होना जरूरी नहीं है आप अपने ई-मेल अपने फोन पर भी देख सकते है ई-मेल पर आप न केवल Text लिख सकते है बल्कि आप वीडियो भी भेज सकते है लेकिन ईमेल भेजने और रिसीव करने के लिये आपके पास एक ईमेल एड्रेस का होना आवश्यक है.
ईमेल एड्रेस
क्या होता है
ईमेल एड्रेस को ईमेल पता भी कहते हैं यह देखने के कुछ ऐसा लगता है abc@gmail.com
ईमेल एड्रेस के तीन भागों में बंटा
रहता है जैसे abc@gmail.com
1.
इसमें abc यूजरनेम होता है
2.
@ प्रतीक चिन्ह होता है
3. अंतिम बचा भाग डोमेन
कहलाता है जैसे इस ईमेल एड्रेस में gmail.com है
ईमेल सिस्टम
के विभिन्न कार्य
1.Composition - यहां पर Sender का ई-मेल होता हैं पर यहां ई-मेल लिखने की जरूरत नहीं होती अपने आप
ही Address आ जाता है और जिसको मेल भेजना होता है उस Receiver का पता लिखना होता
है
2. Transfer - इसका उददेश्य ई-मेल को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने के
लिए किया जाता है इसके लिए Sender
और Receiver के बीच किसी मध्यस्थ की आवश्यकता
होती है अर्थात ई-मेल सर्विस प्रोवाइडर से कनेक्शन लेना होता है यह ई-मेल सिस्टम
द्वारा अपने आप ही हो जाता है इसके लिए यूज़र को कुछ करने की जरूरत नहीं होती है
3.Reporting - Reporting का मतलब है ई मेल Sender
को जानकारी देना कि ई-मेल Receive हो चुका है
4.Displaying - Displaying का अर्थ है जो ई-मेल Receiver द्वारा ई-मेल को मॉनीटर पर Display करना इस मेल को Receiver देखने से पहले या
देखने के बाद Delete कर सकता है और अगर चाहे तो Save भी कर सकता है
5. Inbox - Inbox में आपके आए हुए सारे मेल रहते है और इसके लिए ई-मेल Account User को मेलबॉक्स देता है
6. Outbox- Outbox में वो सारे मेल होते है जो आपके द्वारा भेजे गए है या Forward किए गए है यह भी
मेलबॉक्स में होता है
7. Reply- जब आपके पास किसी का कोई ई-मेल आता है और अगर आपको Reply करना है तो आप Reply पर क्लिंक करके
आसानी से Reply कर सकते है इसमें आपको Sender का ई-मेल Type नहीं करना पडता
8. forwarding- अगर आपके पास किसी ने कोई ई-मेल भेजा है और आप उस मेल को किसी तीसरे
व्यक्ति को भेजना चाहते हैं तो आपको Mail Forwarding पर क्लिक करना होगा
और जिस ई-मेल आईडी पर भेजना है वो टाइप करनी होगी
ई मेल का
लाभ
1. ई-मेल का उपयोग कर
हम एक दूसरे से Communication कर सकते हैं हम दूर रहने वाले लोगों से ई-मेल के माध्यम बातचीत कर
सकते हैं
2. ई-मेल का दूसरा
फायदा होता है तुरंत जवाब मिलना पहले चिट्ठी लिखने और उसका जवाब मिलने में बहुत
समय लगता था पर अब ऐसा नहीं है अब ई-मेल के माध्यम से आप तुरंत ई-मेल Send कर सकते हैं और जवाब
भी कुछ ही समय में मिल जाता है
3. आप बिना किसी खर्च
के, बिना कागज और Pencil
के सूचना भेज सकते हैं और सूचना
प्राप्त कर सकते हैं
4. आप एक साथ में कई सारे लोगों को ई-मेल भेज सकते हैं और Receive भी कर सकते हैं
5. फाइल Attach करने की सुविधा हमें
ई-मेल के माध्यम से मिल जाती है जिससे हम जरूरी फाइलों और फोटाे को ई-मेल के साथ Attach कर सकते हैं और साथ
ही जरूरी लिंक भी शेयर करा सकते हैं
6. ई-मेल सुरक्षित और
भरोसेमंद है यह आपके मेल को हर हालात में पहुंचाने की कोशिश करता है और आपके भेजे
गए ई-मेल को तीसरा व्यक्ति देख नहीं सकता है
7. आपको ई-मेल खाेने का
डर नहीं होता है आपके द्वारा भेजे गए प्रत्येक ई-मेल की कॉपी Mail Server पर सुरक्षित होती है, इस कॉपी को आप कभी भी देख सकते हैं
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