कंप्यूटर का इतिहास लगभग 3000 वर्ष पुराना है जब चीन में एक गणना यंत्र (Calculating Machine) “अबेकस” (Abacus) का आविष्कार हुआ। यह एक मैकेनिकल डिवाइस है जो आज भी चीन, जापान आदि देशों में अंकों की गणना के काम आता है।
अबेकस ( Abacus)
अबेकस एक तारों का फ्रेम होता है। इन तारों (Wires) में बीड ( पक्की मिट्टी के गोले जिनमें छेद होते हैं) पिरोई रहती है। इस फ्रेम के दो भाग होते हैं- छोटे भाग को Heaven तथा दूसरे बड़े भाग को Earth कहा जाता है। फ्रेम के एक तरह के प्रत्येक तार में दो बीड होती हैं जिनमें प्रत्येक का मान 5 होता है तथा दूसरे भाग के प्रत्येक तार में 5 बीड होती हैं जिनमें प्रत्येक का मान 1 होता है। प्रारम्भ में अबेकस को व्यापारी लोग गणनाएं करने के काम में प्रयोग किया करते थे। यह मशीन अंकों की जोड़, गुणा, तथा भाग क्रियाएं करने के काम आती है।
ब्लेज पास्कल (Blaize Pascal)
17वी शताब्दी के दौरान ब्लेज पास्कल फ्रांस में गणितज्ञ व भौतिक-शास्त्री हुआ करते थे। उन्होंने mechanical Digital Calculator का विकास सन् 1642 ई. में किया। इस मशीन को ऐडिंग मशीन कहते थे। क्योंकि यह मशीन केवल जोड़ या घटा कर सकती थी। यह मशीन घड़ी और ओडोमीटर के सिद्धांतों पर कार्य करती थी। इस मशीन में 10 दांतो वाली रेचेट गियर का प्रयोग किया गया। पहले इकाई वाले रेचेट गियर का दस अंकों का एक चक्र पूरा हो जाने पर दहाई वाले रेचेट गियर का एक दांत आगे बढ़ता था। इस प्रकार दहाई वाले रेचेट गियर का दस दांतो का एक चक्र पूरा होने पर सैकेण्ड वाले रेचेट गियर का एक दांत आगे बढ़ता था। ये रेचेट गियर हाथ से घुमाये जाने वाले पहियों की सहायता से चलाये जाते थे। ब्लेज पास्कल की एडिंग मशीन (Adding Machine) को पास्कलाइन (Pascaline) कहते हैं, जो सबसे पहली Mechanical Calculating Machine थी। इस डिवाइस की क्षमता लगभग 6 व्यक्तियों के बराबर थी आज भी कार व स्कूटर के speedometer में यही सिस्टम काम करता है।
चार्ल्स बैबेज और डिफरेंस इंजन (Charles Babbage and Difference Engine)
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर चार्ल्स बैबेज ने एक Mechanical Calculating मशीन विकसित करने की आवश्यकता तब महसूस की जब गणना के लिये बनी हुई सारिणियों में त्रुटि (Error) आने लगी। ये सारिणियां मानव द्वारा ही बनायी गयी थीं इसलिए इनमें त्रुटि आ सकती थी।
चार्ल्स बैबेज ने सन् 1822 में एक मशीन का निर्माण किया जिसका नाम उन्होंने “डिफरेंस इंजन” रखा। इस इंजन की सहायता से Algebraic Expression एवं साख्यिकीय तालिकाओं की गणना 20 अंकों तक शुद्धता से की जा सकती थी।
चार्ल्स बैबेज का एनालिटिकल इंजन (Charles Babbages’s Analytical Engine)
होलेरिथ सेंसस टेबुलेटर (Hollerith Census Tabulator)
Herman Hollerith
चार्ल्स बैबेज के एनालिटिकल इंजन कि परिकल्पना के लगभग 50 वर्ष बाद अमेरिका के वैज्ञानिक हर्मन होलेरिथ (Herman Hollerith) ने इस परिकल्पना को साकार किया। हर्मन होलेरिथ अमेरिकन जनसंख्या ब्यूरो में काम करते थे। उन्होंने इलैक्ट्रिकल टेबुलेटिंग मशीन(Electrical Tabulating Machine) बनाई। इस मशीन में पंचकार्डों की सहायता से आँकड़ों को संग्रहीत किया जाता था। इन पंचकार्डों को एक-एक करके मशीन पर रखा जाता था। टेबुलेटिंग मशीन पर लगी सुइयां इन कार्ड्स से आँकड़ों को पढ़ने का कार्य करती थी। जब सुइयां कार्ड पर बने छिद्रों से आर-पार हो जाती थी तो वे कार्ड के नीचे रखे पारे को छू जाती थी, जिसके कारण इलैक्ट्रिकल सर्किट पूरा हो जाता था।
Electrical Tabulating Machine
इस मशीन की सहायता से जनगणना का जो कार्य 7 वर्षों में पूरा हो पाता था, अब वह मात्र 3 वर्षों में पूरा होने लगा। सन् 1886 में होलेरिथ ने इन मशीनों के व्यापार के लिए “टेबुलेटिंग मशीन कंपनी” नामक एक कंपनी बनायी। सन् 1911 तक इस कंपनी में कई और कंपनियाँ जुड़ गयीं। इन सभी कंपनियों के समूह को एक नाम दिया गया “कंप्यूटर टेबुलेटिंग रिकॉर्ड कंपनी”। सन् 1924 में इस कंपनी को नया नाम “IBM Corporation” (International Business Machine Corporation) रखा गया। सन् 1930 के समाप्त होने तक I.B.M. का विश्व के पंचकार्ड उपकरणों के बाजार के 80 प्रतिशत भाग पर कब्जा हो चुका था। I.B.M. के कारण उस समय तक के प्रचलित अधिकांश उपकरण Electro-Mechanical Equipment's में परिवर्तित कर दिये गये।
डॉ. हावर्ड काईकेन का मार्क-1 (Dr. Howard Aiken’s Mark-1)
सन् 1940 में Electro Mechanical Computing शिखर तक पहुँच चुकी थी। आई.बी.एम के चार शीर्ष इंजीनियरों व डॉ. हावर्ड आईकेन सन् 1944 मे एक मशीन को विकसित किया और इसका आधिकारिक नाम ऑटोमेटिक सिक्वेन्स कंट्रोल्ड कैल्कुलेटर (Automatic Sequence Controlled Calculator) रखा। बाद में इस मशीन का नाम बदलकर मार्क-1 रखा गया। यह विश्व का पहला Electro Mechanical Computer था। इस कंप्यूटर की सहायता से सभी तरह की अंक-गणितीय गणनाएं की जा सकती थी, साथ ही Logarithm एवं trigonometry की गणनाएं करना भी संभव था।
ए.बी.सी. (The A.B.C)
आईकेन और IBM के मार्क-1 की तकनीक, नई इलैक्ट्रॉनिक्स तकनीक के आने से पुरानी हो गयी थी। नयी इलैक्ट्रॉनिक तकनीक मशीनों में विद्युत की उपस्थिति व अनुपस्थिति का सिद्धांत था। इसमें कोई भी चलायमान (movable) पुर्जा नहीं था इसलिए यह विद्युत यांत्रिक (Electro Mechanical) मशीन से तेज गति से चलता था
सन् 1945 में एटानासोफ (Atanasoff) ने एक इलैक्ट्रॉनिक मशीन को विकसित किया, जिसका नाम ए.बी.सी (A.B.C) रखा गया। ABC, Atanasoff Berry Computer का संक्षिप्त रूप है। ABC सबसे पहला इलैक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था।
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